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Wednesday, September 1, 2010

ठंडा रखें दिमाग

गुस्सा सेहत के लिए अच्छा नहीं है, इसे काबू में रखना चाहिए, ये और ऐसी ही कई नसीहतें आपने अपने बुजुर्गों से सुनी होंगी। शायद ही आपने कभी इन पर गंभीरता से ध्यान दिया हो। लेकिन कॉलेज तक तो ठीक है पर उसके बाद जब आप जॉब के लिए जाते हेैं या जॉब करने लगते हैं तब यह कतई ठीक नहीं है। आप यह कह सकते हैं कि आपको हमेशा गुस्सा तब आता है जब कोई गलत बात करता है, यह बात आपको कहीं न कहीं संतोष भी देती है। इस अच्छी तरह समझ लें। इसमें कोई शक नहीं कि गलत बात का विरोध हर जागरुक और जमीर वाले आदमी को करना ही चाहिए लेकिन विरोध और क्रोध में फर्क है। विरोध बेहद शालीन और संयत ढंग से भी किया जा सकता है। भारत की क्रांति के इतिहास में भला भगत सिंह से ज्यादा मुखर विरोध करने वाला युवा कोई हुआ है! लेकिन वे भी गुस्सैल नहीं थे। उनका कहना था कि युवाआें का खून गर्म और दिमाग शांत होना चाहिए। आज यही बातें कॅरियर के लिए आपका मार्गदर्शन कर सकती हैं। जब आप जॉब में हैं तो कई बार ऐसे मौके आएंगे जब आपकी सलाह एकदम सही और तार्किक होगी पर आपका कोई कलीग इसे पूरी तरह नजरंदाज कर सकता है, बॉस भी ऐसा ही कर सकता है। ऐसे में आपको गुस्सा आ जाए तो यह सामान्य सी बात है लेकिन यहीं आपको सावधान हो जाना चाहिए। दरअसल जो जितना सही है उसे उतना ही शांत रहना चाहिए। शांत रहने से आपकी बात थोड़ा वक्त भले ले लेकिन ज्यादा देर तक और ज्यादा दूर तक सुनाई देती है। यदि आफिस में किसी गलत बात का विरोध आपने गुस्से में कर दिया तो जो लोग ऐसी किसी बात के पक्ष में हैं वे सब मिलकर सिर्फ आपके व्यवहार को मुद्दा बना लेंगे और ऐसे में आपका विरोध जायज है ये बात किनारे कर दी जाएगी। सब मिलकर यही कहेंगे कि देखो इसने ऐसा बर्ताव किया। टिप्स -जब आपकी किसी तर्क संगत का विरोध आपके सहयोगी तर्कहीन आधार पर करें तो, ओशो का जीवन मंत्र है कि उन पर क्रोध नहीं दया करो। आप ध्यान रखिए कि वे ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएंगे, क्योंकि कोई भी कंपनी ऐसे एम्पलाई को जान-बूझकर देर तक तवज्जो नहीं दे सकती जिसकी बातों का तार्किक आधार न हो। -शालीनता और कायरता में फर्क होता है। जिसके भीतर सच की आंच को संभालने की ताकत है वही देर तक शालीन और शांत रह सकता है। इसलिए यदि आपको लगता है कि किसी संदर्भ विशेष में आप बिलकुल सही हैं तो गुस्सा करके अपनी बात का वजन कम मत करिये। -जिन साथियों से आपके मतभेद हैं उनसे भी अपने व्यवहार में मिठास बनाए रखिए,कड़वाहट मत आने दीजिये। आखिर आपको उन्हीं लोगों के बीच काम करना है ऐसे में कोई बात दिल पर लेकर, गांठ बांधकर रखेंगे तो काम करना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए बी कूल एंड गो अहेड।

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