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Monday, November 15, 2010

अब तो आदत बन गई हैआसमान छूना

भारत युवाओं का है, इस बात का अर्थ सिर्फ यह नहीं है कि यहां उम्र के लिहाज से सबसे ज्यादा युवा हैं, इस बात का असल मायने यह है कि यह संभावनाओं का भारत है। सारी दुनिया में प्राच्य विद्याओं के लिए तो हमेशा ही भारत को जगतगुरु कहा जाता रहा है लेकिन आज के संदर्भों और चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में हम अपनी कोई पहचान नहीं बना पाए थे। पिछले एक दशक में हमारे युवाओं ने यह तस्वीर बदल दी है। अब रचने का ऐसा कोई भी क्षेत्र शेष नहीं है जहां भारत ने अपनी छाप न बनाई हो। किसी देश के पास परमाणु शक्ति और सैन्य ताकत कितनी है यह उसके ताकतवर होने का पैमाना आज तो कतई नहीं है। आज विज्ञान,खेल,तकनीक,संचार माध्यम, सिनेमा,संगीत,साहित्य और ऐसी ही अन्य विधाओं में नए क्षितिज का स्पर्श करने की क्षमता और दक्षता के आधार पर ही किसी देश की समग्र प्रगति की माप तय होती है। इन सभी क्षेत्रों में भारत ने इतना जबर्दस्त प्रदर्शन किया है कि दुनिया भौंचक है। ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा के स्वर्ण और सुशील कुमार तथा विजयेंद्र सिंह के कांस्य पदक जीतने से इन खेलों में चला आ रहा शून्य भारत ने खत्म कर दिया है । सायना नेहवाल ने करीब दो दर्जन अंतराष्टÑीय स्पर्धाओं के खिताब अपने नाम कर विश्व स्तर पर दूसरे नंबर की खिलाड़ी होने का गौरव पाया है। विज्ञान में भारत का आईटी पर प्रभुत्व जग जाहिर है, बेशक वे अमेरिका में रह रहे हैं लेकिन युवा वैज्ञानिक रामकृष्णनन ने नोबल पुरस्कार जीतकर भारतीय प्रतिभाओं की क्षमताओं को ही वैश्विक रूप से उजगर किया है, उनकी ग्रेजुएट स्तर तक की पढ़ाई भारत में ही हुई है। संगीतकार एआर रहमान ने आस्कर पुरस्कार जीत कर संगीत के क्षेत्र में भारतीय युवाओं की सशक्त मौजूदगी दर्ज कराई है। अमित त्रिवेदी अभी 31साल के हैं पर उनमें वे संभावनाएं दिखाई दे रही हैं कि दुनिया का कोई भी पुरस्कार उनके हाथों की जद में आ सकता है। छह फिल्मों में कर्णप्रिय और लोकप्रिय संगीत देकर वे सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का राष्टÑीय पुरस्कार जीत चुके हैं। नागेश कुकनूर और नीरज पांडे का नाम इस दौर के सबसे ज्यादा प्रयोगधर्मी फिल्म निर्देशकों में उल्लेखनीय है। ये युवा फिल्मकार सामाजिक सरोकारों वाली फिल्में बनाकर इस माध्यम की ताकत का इस्तेमाल आम आदमी के हालात बेहतर बनाने की दिशा में कर रहे हैं। सिनेमा में तेजी से उभरता क्षेत्र है एनीमेशन का। भारत की साख इसमें इतनी है कि सिर्फ बेंगलुरू के ही दस ऐसे एनीमेशन स्टूडियो हैं जो कई हालीवुड फिल्मों के लिए आउटसोर्सिंग का काम कर रहे हैं, जाहिर है उनका काम विश्वस्तर का है और उसे स्पिलबर्ग जैसे निर्देशकों द्वारा भी सराहा जा रहा है। भारत में इलैक्ट्रनिक मीडिया यानी न्यूज चैनल दूसरे देशों की अपेक्षा ज्यादा युवा हैं वैचारिक और सामाजिक सरोकारों की दृष्टि से भले ही उन्हें परिपक्व होने में और वक्त लगे पर उनकी व्यापकता और प्रभाव दिनों दिन बढ़ रहा है। इन चैनल्स के एंकर से लेकर कर्ता-धर्ता तक सब युवा ही हैं। यहां पर एक नाम बेहद उल्लेखनीय है, पी सांईनाथ का। उन्होंने प्रिंट मीडिया की प्रामाणिकता,सामाजिक सोद्देश्यता और प्रभाव बनाए रखने के लिए जो कोशिशें की हैं उन्हें वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। 2007 मेंं उन्हें प्रदान किया गया रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दरअसल उनके इन्हीं कामों को वैश्विक समुदाय की स्वीकृति थी । टाइम्स ग्रुप की फैलोशिप पर उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी-‘‘एवरी बडी लव्स ए गुड ड्राउट ’’ यह पुस्तक इस बात पर केंद्रित थी कि अकाल किन-किन इलाकों में सबसे ज्यादा पड़ता है और सीधे तौर पर इससे फायदा किन -किन लोगों को होता है। इस पुस्तक के दर्जनों विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुए और आज यह दुनिया के करीब तीस देशों के विश्वविद्यालयों में किसी न किसी रूप में पढ़ाई जाती है। साहित्य के क्षेत्र में भारतीय युवाओं का परचम शान से लहरा रहा है। झुंपा लाहिड़ी ने 1999 में अपनी पुस्तक ‘इंटरप्रेनर आफ मालदीव के’ जरिए साहित्य में कदम रखा और इसके ठीक एक साल बाद ही सन् 2000 में उनके उपन्यास ‘द नेमसेक ’ को साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक ‘पुलित्जर पुरस्कार’ प्रदान किया गया। नो बडीज बिजनेस,हेल-हेवन, वंस इन ए लाइफ टाइम और इयर्स एंड उनकी लघुकथाओं के संग्रह हैं। कला एवं मानवीय सरोकारों के लिए अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा द्वारा गठित समिति में भी झुंपा को सदस्य मनोनीत किया गया है। इसी कड़ी में एक और नाम है रॉबिन शर्मा का। उनकी पुस्तक‘द मोंक हू सोल्ड हिज फरारी’ ने सारी दुनिया के व्यवसाय प्रबंधन के क्षेत्र में तहलका मचा दिया था। ‘द लीडर हू हेव नो टाइटल: ए माडर्न फेबल आन रियल सक्सेस इन बिजनेस एंड लाइफ’ उनकी गे्रटनेस गाइड सीरीज की एक और खास किताब है। उनके काम का दुनिया के 60 देशों की 70 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। चेतन भगत फाइव पॉइंट समवन, ए नाइट @कॉल सेंटर और थ्री मिस्टेक्स आफ माइ लाइफ जैसी पुस्तकों के जरिए दुनिया के युवाओं के बीच लोकप्रिय लेखकों की कतार में सबसे आगे हैं। राजनीति में राहुल गांधी युवा भारत के सबसे पसंदीदा चेहरे हैं। वे धीरे-धीरे अपनी पसंद के युवाओं का चयन कर राजनीति में शुचिता और संवेदनाओं की स्थापना की कोशिश कर रहे हैं और उनके पसंदीदा युवा हैं सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि आदि। धर्म के क्षेत्र में बाबा रामदेव का नाम सारी दुनिया में सम्मान से लिया जा रहा है। वे योग के शिखर पुरुष के रुप में अपनी पहचान बना चुके हैं। यह पहली बार है जब भारत स्वत:स्फूर्त होकर इस तरह आगे बढ़ रहा है। उसकी युवा ऊर्जा सभी ऊंचाइयों को अपने कदमों से नाप रही है। उनमें असीम संभावनाएं हैं, आसमान छूना अब उनकी हसरत नहीं आदत बन चुकी है। - धीरेंद्र

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