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Monday, November 15, 2010

नंगो का राज

हाल ही में किंगफिशर का नया कैलेंडर आया है। इसके जारी होने पर उन मॉडल्स का ग्रुप फोटो भी जारी हुआ जिन्होंने अपने शरीर की नुमाइश इसमें की है। इस फोटो में सभी मॉडल्स मुस्करा रही हैं। यह पहली बार नहीं है। हमेशा जब भी कोई मॉडल या फिल्म स्टार नग्न तस्वीरें खिंचवाती है,ऐसी ही मुस्कराती फोटो आती हंै, मैं हमेशा सोचता हूं कि मुस्कराने और नंगेपन का क्या संबंध है? यह सवाल भी परेशान करता है कि ये मॉडल्स किस पर मुस्कराती हैं? कई बार लगता है कि वे उन लोगों पर मुस्कराती हैं जो उनकी नग्नता पर लट्टू होते रहते हैं। कई बार यह शक भी होता है कि वे उन सभी लोगों पर मुस्कराती हैं जो कपड़े पहने -पहने ही पूरी जिंदगी गुजार देते हैं, जिनमें नंगे होने का साहस ही नहीं। ेऐसे साहसिक कामों के लिए ही उनका जन्म होता है,वे एक बार यह साहस करती हैं तो फिर ऐसे ही बल्कि इससे भी ज्यादा साहसिक काम करती चली जाती हैं। एक अनंत सिलसिला बन जाता है उनकी नग्नता और मुस्कराने का। हमारे देश में नंगे कम नहीं हैं। करीब-करीब आधी आबादी के पास तन ढंकने के लिए कपड़े नहीं है लेकिन उन्हें वह कला नहीं आती जो किंगफिशर के कैलेंडर वाली सुंदरियों को आती है। हमारे गरीब इसी बात का रोना रोते रहते हैं कि उनके पास तन ढकने के लिए कपड़े नहीं है। ये सुंदरियां कपड़े होने के बाद भी उन्हें घृणा की दृष्टि से देखती हैं। शायद यही गरीबी और अमीरी की परिभाषा है कि जो चाहकर भी न पहन सके वह गरीब और जो चाहकर ही न पहने वह अमीर! कहते हैं कि नंगे से खुदा भी डरता है? सवाल यह है कि किस तरह के नंगों से खुदा डरता है? जैसे नंगे हमारे गरीब हैं,उनसे खुदा डरता होता तो ये सब भी कब के अमीर हो गए होते। नहीं ..इनसे खुदा नहीं डरता। वह जरूर ऐसे ही नंगे लोगों से डरता होगा जो अकेले में नहीं सबके सामने नंगे होते हैं और नंगे होेकर मुस्कराने की कला भी जानते हैं। इन्हीं से डरता है खुदा, नहीं तो इन्हीं पर इतना मेहरबान क्यों होता? करोड़ों की दौलत इतनी सी बात पर यदि इनके कदम चूम रही है तो यह नंगपन असाधारण होगा ही। पर बात सिर्फ इतनी ही नहीं कि कोई भी कहदे कि हम नंगेहोने तैयार हैं और उसे नंगा होने का चांस दे दिया जाए। इसके लिए बाकायदा टेस्ट होेते हैं। ये टेस्ट शरीर से आत्मा तक की जांच करते हैं कि कहीं भीतर तो कोई कपड़ा या पर्दा वगैरह नहीं है। कड़ी परीक्षा के बाद जब यह तय हो जाता है कि नहीं यह भीतर -बाहर सब तरफ एक सा ही है तभी उसे मौका दिया जाता है। इस तरह के ‘वेल क्वालीफाइड’ नंगों की बड़ी भारी जमात इस देश में है। ये सुंदरियां तो इस वर्ग की नुमांइदगी बस करती हैं ताकि लोगों को इस बात का ध्यान बराबर बना रहे कि इस देश में उन लोगों की संख्या और ताकत बड़े पैमाने पर मौजूद है जिनसे खुदा डरता है। कौन हैं वे? यह सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या उनके भी कैलेंडर निकलते हैं? अरे नहीं...नहीं..। यदि उनके भी कैलेंडर निकलने लगे तो जैसा शिवजी की स्तुति में कहा गया है कि सारी धरती को कागज बनाकर वृक्षों के माध्यम से समुद्र रूपी स्याही से लिखा जाए तो भी उनकी महिमा नहीं लिखी जा सकती, वैसी ही बात हो जाएगी। कितना लिखा जाए इन नंगों के बारे में ! हर कहीं, हर तरफ तो यही हैं। बस नाम लीजिए किसी क्षेत्र का हर कहीं वही वही मिलेंगे। नंगो का राज है ऐसे में यदि किंगफिशरी सुंदरियां मुस्करा रही हैं तो आश्चर्य क्या? धीरेंद्र शुक्ल

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