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Sunday, November 21, 2010

टाइम की सूची पर जरूरी सवाल

टाइम पत्रिका ने पिछली सदी की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची जारी की है, इसमें सबसे अधिक समय तक किसी देश की प्रधानमंत्री होने का गौरव रखने वाली श्रीमती प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नौ वें स्थान पर हैं। खास बात यह है कि अमेरिका की सेक्रेटरी आफ स्टेट और पूर्व अमेरिकी राष्टÑपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन को इंदिरा गांधी से तीन क्रम ऊपर रखा गया है, वे छठवें स्थान पर हैं। इसीलिए यह सूची काबिले गौर है और इससे कई सवाल उठते हैं। सबसे पहले सवाल तो यही उठता है कि हिलेरी क्लिंटन को किस आधार पर इंदिरा गांधी से तीन क्रम पहले जगह दी गई? इंदिरा गांधी के विराट व्यक्तित्व, उनकी राजनैतिक कुशाग्रता और वैश्विक स्वीकार्यता के सामने हिलेरी क्लिंटन की जगह कहां है? खुद पत्रिका ने इंदिरा गांधी को इस सूचि में शामिल किए जाने के लिए जिन बातों को आधार बनाया है वे भारत की इस अप्रतिम महिला नेत्री को श्रेष्ठ ही नहीं सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए पर्याप्त हैं। इंदिरा जब भारत की प्रधानमंत्री बनीं तब इसी टाइम मैगजीन नेअपने कवर पेज पर उनकी तस्वीर छाप कर लिखा था- समस्याग्रस्त भारत की कमान एक महिला के हाथ में। भारत की समस्याएं तब ऐसी नहीं थीं कि उनका समाधान साल दो साल में हो जाता । यह हर तरफ से नाउम्मीदी के अंधेरे में छटपटाते भारत की ऐसी समस्याएं थीं जिनकी जड़ों में गहरी विसंगतियां और अभाव थे। तब जैसा भारत आज है वैसा ख्वाब देख पाना भी करीब-करीब नामुमकिन था, लेकिन इंदिरा गांधी ने इतने विपरीत हालातों में यह ख्वाब न सिर्फ देखा बल्कि उसे साकार करने के लिए एक रोड मैप भी तैयार किया। एक वक्त में जो जुनून आजादी के दीवानों में था, अपने देश को गौरव दिलाने का वही जुनून इंदिरा गांधी में था, उनके साथ जुड़े विवादों और मिथकों के बीच इस बात का आकलन शायद कभी नहीं किया गया। इसी जुनून के कारण वे लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के बीच बिना किसी विदेशी सहायता के पाकिस्तान के इरादों का मुंहतोड़ जवाब दे सकीं और अपनी असाधारण कूटनीतिक कुशलता का परिचय देकर बांग्लादेश का निर्माण भी करा सकीं। पूर्व अमेरिकी राष्टÑपति निक्सन के पीए ने अपनी पुस्तक में इस बात का जिक्र किया है कि निक्सन इंदिरा गांधी से डरते थे, इसलिए वे नहीं चाहते थे कि उन्हें इंदिरा गांधी का सामना करने पड़े। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि इंदिरा अपने देश के गौरव के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करती थीं, कभी भी। अमेरिका जैसे देश के प्रभुत्व को भी उन्होंने कभी उस तरह स्वीकार नहीं किया जैसा इतनी शक्तिशाली अर्थव्यवस्था के बाद भी आज भारत के नेता कर रहे हैं। अमेरिका की ही एक संस्था ने अपने सर्वे में इंदिरा गांधी को दुनिया की एकमात्र ऐसी महिला नेत्री कहा था जिसने नारीत्व की कमियों पर विजय हासिल कर ली थी। इसके अलावा यह रिकार्ड तो आज भी इंदिरा जी के नाम पर ही है कि दुनिया के किसी भी देश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री वही हैं। क्या ऐसी कोई उपलब्धि, ऐसी कोई विलक्षणता या ऐसी कोई वैश्विक स्वीकार्यता हिलेरी क्लिंटन की है? जाहिर है नहीं, तो फिर क्या सिर्फ इसीलिए हिलेरी को इस सूची में छठवें स्थान पर जगह दी गई है कि वे आज दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क की विदेश मंत्री हैं? तथ्य बताते हैं कि इस तरह की सूची या सूचियां इसी तरह के पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर बनाई जाती हैं। हाल ही में फोर्ब्स ने दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं की जो सूची जारी की है उसमे ंभी अमेरिकी राष्टÑपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा को सबसे पहला स्थान दिया गया है। यह सवाल लाजमी है कि असाधारण चुनौतियों का सामना कर इतिहास रच देने वाली इंदिरा नूयी या फिर विपरीत हालात में अपनी अलग छवि और जगह बनाने वाली सोनिया गांधाी के सामने मिशेल की कोई स्वतंत्र पहचान है? नहीं है, लेकिन इसके बावजूद जो उनके पास है वह किसी के पास नहीं, आखिर वे मिसेज ओबामा हैं। इस तरह की सूचियां अच्छी बात हो सकती हैं। जब इन्हें एक पूरे समय का मूल्यांकन करने की कसौटी माना जा रहा हो, तब यह बहुत जरूरी हो जाता है कि वे इस कदर निष्पक्ष हों कि उन पर गंभीर संदेह की गुंजाइश न रह जाए। टाइम की सूचि से पता चलता है कि उसमें इस प्राथमिक शर्त का सिरे से अभाव है।

2 comments:

  1. टाइम का भी महिमा-मंडन ऐसा ही है जैसा आप कर रहे हैं>..

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