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Wednesday, May 3, 2023

कानून से बड़ा कद

 कानून से बड़ा कद

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इन दिनों माफिया,गुंडों और ऐसे लोगों के काल के रूप में देखा-दिखाया जा रहा है जो समाज के शांतिपूर्ण ढांचे को क्षति पहुंचा रहे हैं या पहुचा सकते हैं,फिर भाजपा का केंद्रीय एजेंडा है बेटी बचाओ-बेटी पढाओ और उस पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतिसंवेदनशील वक्तव्यों की विचारपूर्ण श्रृंखला और इन सबसे ऊपर कानून, कानून में भी वह कानून जिसे निर्भया कांड के बाद देश की संसद ने संशोधित किया और स्त्री के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जितना बन पड़ा उतना संवदेनशील और सख्त बनाया। यह सब हैं, लेकिन इस समय इन सबसे ऊपर है ब्रजभूषण शरण सिंह। ओलंपिक,एशियाड और काॅमन वेल्थ जैसे शीर्ष स्थानों पर कुश्ती में पदक हासिल कर देश को गर्वोन्नत करने वाले पहलवान पिछले पांच माह से आरोप लगा रहे हैं कि ब्रजभूषण ने महिला पहलवानों का दैहिक शोषण किया इसलिए उस पर एफआईआर दर्ज करके उसे गिरफ्तार किया जाए लेकिन केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा जनवरी में दिए गए आश्वासन के बाद भी चार माह तक एफआईआर नहीं हुई और देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप के बाद दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रेल को उस पर एफआईआर दर्ज की, इसमें नाबालिग के शोषण से संबंधित आरोपों के कारण ही पाॅस्को एक्ट के तहत भी मामाला दर्ज किया गया है जिसकी अधिकतम सजा उम्रकैद है लेकिन ब्रजभूषण को इससे कोई फर्क नहीं पड रहा। ताजा बयान यह है कि इतने संगीन आरोपों से घिरा यह व्यक्ति सीना ठोंक कर कह रहा है कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। हालांकि अब पहलवानों की यह मांग भी नहीं है कि ब्रजभूषण का इस्तीफा हो वे तो अब उसे सलाखों के पीछे देखना चाहते हैं और इसलिए सारे ट्रेनिंग कैम्पों में जाने से मनाकर वे दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं। इनमें सभी शामिल हैं-पुरुष और महिला दोनों, जिनमें विनेश फोगाट,साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया सहित दर्जनों पहलवान हैं। महिला पहलवान विनेश और साक्षी के कई वीडियो सामने आए जिसमें वे बिलख रहीं हैं और लाख कोशिशों के बाद भी एक गलत आदमी की दबंगई देखकर हतप्रभ और क्षुब्ध हैं पर निराश नहीं।
अब इन पहलवानों के समर्थन में कपिल देव,हरभजन सिंह,और नीरज चैपडा जैसे लोग भी सामने आए हैं जो पूरी तरह निर्विवाद रहे हैं और जिन्हें खेलों में उनके अतुलनीय योगदान के लिए सराहा और सम्मानित किया जाता है। हालांकि स्वरा भास्कर जैसी डिजायनर बुद्धिजीवी और प्रियंका गांधी भी इन नामों में शामिल हैं लेकिन इससे इन पहलवानों की न्याय प्राप्त करने की मंशा और संघर्ष पर प्रश्न नहीं खडे किए जा सकते।
क्या यह हैरत में डाल देने वाली बात नहीं है कि जिन पहलवानों की सारी दुनिया में अपनी पहचान है,जो करोड़ों खेल प्रेमियों के चहेते और आदर्श हैं और जिनके कारण भारत को कई अंतर्राष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में गौरव प्राप्त हुआ है उन्हें ही दैहिक शोषण जैसे गंभीर आरोप के लिए एफआइआर दर्ज कराने तक सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा है। क्या यह तुलना असंगत है कि एक तरफ देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया को सिर्फ उसके वक्तव्य देने पर सजा हो जाती है और दूसरी तरफ बलात्कार जैसे संगीन आरोपों से घिरा एक व्यक्ति पूरी व्यवस्था को अपने दंभ के पैरों तले कुचल रहा है और सब निरीह से देख रहे हैं, कुछ कर नहीं पा रहे हैं, वे नेता भी नहीं जो नैतिकता का पाठ दूसरी पार्टियो को पढ़ाते नहीं थकते और जिनसे वाकई देश की करोडो जनता इस मामले में व्वरित हस्तक्षेप की आस लगाए बैठी है।
यह चकित कर देने वाला है कि सोशल मीडिया में यह प्रोपेगेंडा चल रहा है कि ब्रजभूषण शरण सिंह को फंसाया जा रहा है और यह कि यह कांग्रेस की साजिश है । लोग पहलवानों को गालियां तक देेते हुए कह रहे हैं कि ये पहलवान तो ऐसे बर्ताव कर रहे हैं कि जैसे इनसे पहले काई पहलवान ही नहीं हुआ और न कोई होगा। बडे अजीब-अजीब तर्क दिए जा रहे हैं।
यहां सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात यह है कि एक साधारण व्यक्ति पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है। मात्र ऐसे लोग ही नहीं जिनकी बेटियां हैं और जो उनकी सामाजिक सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं बल्कि वे भी जो कानून से बड़ा किसी को नहीं मानते और जिन्हें लगता है कि कानून से न्याय अवश्य मिलेगा, उन सभी पर इस प्रकरण का बहुत गहरा और नकारात्मक प्रभााव पड़ रहा है । संदेश यह जा रहा है कि जब इतनी ख्याती और पहुंच वाले पहलवान जिन्हें प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति सहित सारे दिग्गज जानते-पहचानते हैं उन्हें तक जब स्त्री के दैहिक शोषण के विरूद्ध लडाई में किसी का साथ नहीं मिल रहा है, उनकी लड़ाई कितनी कठिन होती जा रही है तब किसी और की तो बिसात ही क्या। यह निराशा स्त्री संघर्ष को और बढा सकती है, हो सकता है यह एक उदाहरण भी माना जाने लगे कि अरे जब इतने बडे-बडे पहलवानों को न्याय नही मिला तो हमें क्या मिलेगा और क्या यह भी नहीं हो सकता कि ब्रजभूषण शरण सिंह को अपना आदर्श मानने वाले लोगों की एक फौज ही बनती चली जाए जो इस बात से उत्साहित हों कि जब उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया तो हमारा भी कुछ नहीं बिगडेगा। जब पहले ही स्त्री की सुरक्षा से जुड़ी बातों में दर्जनों विसंगतियां हैं और देश में चाहे जहां स्त्री की अस्मिता पर घात-प्रतिघात हो रहा है तब ऐसे घटनाक्रम उसकी कठिनाइयों को असीमित रूप से बढाएंगे ही। किसी तर्क से पहलवानों के संघर्ष को गलत नहीं ठहराया जा सकता ।
वैसे यह भी एक तर्क है कि वे सभी लोग जिन्हें लगता है कि यह गलत है वे इसे सिर्फ पहलवानों का ही मुद्दा क्यों मान रहे हैं? क्या यह नहीं हो सकता कि जैसे निर्भया कांड में राष्ट्रव्यापी स्वतःस्फूर्त विरोध हुआ था, लोग सारे देश में सड़कों पर उतर आए थे वैसे ही इस मामले में भी पहलवानों के समर्थन में पूरे देश में सामने आएं, सडकों पर उतरें और धरना-प्रदर्शन करें। हो तो सकता है लेकिन मीडिया इसकी गंभीरता को, इसके संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता अनुभव ही नहीं कर पा रहा है।
-धीरेन्द्र शुक्ल
सभी रिएक्शन:
Shyam Kumar Rai, K P Singh Saroha और 5 अन्य लोग

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